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मानवी गुस्से में बोली " क्यों आखिर क्यों इतना भी बडी कोई गलती नहीं कर दि मैंने जिसके लिए आप इस तरह मुझसे बदला ले माफी मांग तो रही हूं अब क्या करूं अपनी जान दे दूं ..?
तो ऋषभ उसके पास आकर और एकदम से उसकी कमर में हाथ डाल कर उसे अपने करीब खींच लेता है। तो मानवी उसकी इस हरकत से हैरान रह जाती है, उसके हाथ से वह पेपर्स छूट जाते हैं वह अपनी कमर से उसका हाथ हटाने लगती है।
वहीं ऋषभ उसकी आंखों में देखते हुए " जान देने की जरूरत नहीं है बस मेरे पास आ जाओ और मेरे परिवार वालों के सामने बहु होने के सारे फर्ज निभाओ और अनुष्का को मेरी लाइफ से निकालने में मदद करो बस इतना करो और फिर कुछ महीनों बाद मैं खुद तुम्हें आजाद कर दूंगा
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guys new chapter upload ho gaye hain jaaiye aur padh lijiye aur han apni rating comment Dena mat bhulna aur mujhe follow bhi kar lena 🙂🙂🙏🙏❣️❣️
खूब बिके शब्द अब किताबों में,
बस मोल नहीं भावनाओं का।
सज गए बाजार विचारों के,
पर सौदा हुआ एहसासों का।
स्याही से लिखे जज़्बात मिले,
पर दिल में वो आग नहीं।
हर पन्ने पर हैं किस्से नए,
पर सच की कोई बात नहीं।
अब बोलियां लगती हैं रिश्तों की,
हर चीज़ यहाँ बिक जाती है।
जो बिन दाम अनमोल थी कल,
आज कीमत में तौली जाती है।
Aditi rahi