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रिश्तों की इस बस्ती में,
साजिशों ने घर बनाया था।
जिस दिल ने सच्चा चाहा,
उसी को सबसे ज़्यादा रुलाया था।
एक मासूम दिल था रिध्यान का,
जिसे बस अंशिका चाहिए थी।
पर अंशिका तो बस नाम की थी,
उसकी रूह तो कहीं और ही थी।
वो दिल जिसने धोखे की नींव पर
प्यार का महल खड़ा किया,
वक़्त ने जब राज़ खोले,
तो सबकुछ बिखर के रह गया।
वर्षों पुराना तूफ़ान उठा,
सच्चाई ने परतें खोलीं।
कहीं बेमोल मोहब्बत थी,
कहीं छुपी हुई कोई बोली।
अब देखना है,
क्या रिश्ता बचेगा इस आग में,
या दोनों दिल जल जाएंगे
अपने ही जज़्बातों के दाग में।
My Heartless Wife
कल के दिन जो भी कमेंट आए थे उसे लेकर कंफ्यूज ना हो, ऑटो रेटिंग की तरह हम लोग ऑटो कमेंट फीचर्स लेकर आने के बारे में सोच रहे थे और कल उसकी टेस्टिंग की गई थी। इसमें 1 मिनट के बाद अपने आप कमेंट हो जाएगा, अगर किसी ने ऑटो रेटिंग फीचर ऑन कर रखा है तो। हालांकि रेटिंग के लिए ऑटो रेटिंग फीचर ठीक है लेकिन कमेंट के लिए यह सही नहीं लगा तो अब इसे बंद कर दिया गया है। थोड़ी और टेस्टिंग और डिस्कशन के बाद अगर इसे दोबारा शुरू करना हुआ तो देखेंगे। दूसरा फिचर एआई कमेंट का है। जिसमें हम लोगों को कमेंट जनरेट करने के लिए एआई का फीचर दे सकते हैं।
किसी के पास कोई बेटर सजेक्शन हो तो इनवाइटेड है। मेन मोटीव चैप्टर पर लोगों को कमेंट के लिए मोटिवेट करना है।
"मीत ए मीरज़ा" read this story on my profile
कुछ अफ़साने अधूरे थे, कुछ लफ्ज़ बेजुबान थे,
कुछ रिश्तों के आईने धुंधले थे, कुछ जज़्बात बेक़रार थे।
क़िस्मत ने लिखी एक ऐसी दास्तां, जहाँ मोहब्बत भी मजबूर थी,
और नफ़रत भी लाचार थी।
मगर दिल की सरहदें तोड़कर, जब दो रूहें मिलीं,
तो वक़्त भी झुक गया, और तक़दीर भी मुस्कुरा पड़ी।
यही कहानी है… "मीत ए मीरज़ा" की।