कभी-कभी , कुछ कहानियाँ गुम हो जाती हैं।
कहीं दूर हर नज़र से,
गुमनाम पन्नों में कैद हो जाती हैं।

इश्क़ है मुझे तुम्हारी बातों से,
इश्क़ है मुझे तुम्हारी खामोशी से,
पर डर है मुझे…
इस कहानी का हाल भी कुछ इस तरह न हो

मैं तुझमें खो गया ,
पर ये सितम न हो ।‌

जिस राह पर चल रहा हूं ।
वो दर्द का आगाज ना हो ।
डरता हूं ‌इस बात से
कि यह हमारी आखरी मुलाकात ना‌ हो ।
समाज के उन चार लोगों ‌की नजरें ना पड़ी हो ।
तेरी और मेरी मुलाकात हर किसी से छूपी हो ।

हो गया यह डर दूर तो -
जिंदगी में दो‌ सांसे और जुड़ेंगी ।‌
वरना आजकल जो हाल हर कहानी का हैं
मुझे डर हैं इस बात का ,
मैं इस दुनिया में ,
गुमनाम किस्सा ना बन जाऊं।

कैसी लगी आप‌ सबको यह पोस्ट कमेंट करके जरुर बताये ।

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