हम तो वो थे जनाब, किसी को एक शब्द बोलने से , पहले शब्दों को तौलते थे, कहीं उसे दर्द न पहुंच जाए....! जब मेरी बारी आई, लोगों ने तो मुझे इंसान भी नहीं समझा ....!🥹🥹🥹🥹🥹
चल आज एक नया सफर पे फिर से चलते हैं, टूटे हुए तिनकों से एक नया आशियाना, सजाते हैं..........! अब हार नहीं, जीत की डंकार बजेगी, अब मेरी नहीं, दुश्मनों की बली चढ़ेगी.....।