Explore captivating content and diverse perspectives on our Discover page. Uncover fresh ideas and engage in meaningful conversations
वो बन गया लेखक मजदूरी करते करते
अपनी भावनाओं से छुपते छुपाते
जाने कब वो कलाकार बन गया बोझ ढोते ढोते
अपनी थकान मिटी या नहीं
कलम की स्याही से वो
अल्फ़ाज़ सजा गया सपने सजाते सजाते
आज जहां ख्वाब सजने थे आंखों में
तो रुला गए उसे आज उसके हालात
फिर भी मुस्कुरा गया वो अपना पसीना बहाते बहाते
लोग कहते रहे मजदूर है
वो काम करता गया उसने सुनते उनके अल्फ़ाज़
वो मजदूर बन गया लेखक
बिना पढ़े किताब
हां सुना गया अपना दर्द
वो लिखते लिखते अल्फ़ाज़
meri Nai कहानी Jake पढ़िए और बताइए कैसा लगा ..?
Check out Saudebazi novel on Story Mania
https://storymania.in/SZDbhhcAwcoh
Read long story (150+ parts) only on Story Mania
पता नहीं क्यों, लेकिन पिछले कुछ दिन... या शायद हफ्तों से, मेरा कुछ लिखने का बिल्कुल भी मन नहीं कर रहा था.
ना मूड बन रहा था लिखने का और ना ही दिमाग में कुछ क्लियर चल रहा था.
आज इतने टाइम बाद जब ऐप खोला, तो रीडिंग काउंट भी ज़ीरो दिखा, सच में और भी ज़्यादा खराब लगने लगा मुझे ये.
लेकिन फिर भी मैं अपनी राइटिंग नहीं छोड़ सकती या यूं कहे लगाव हो चुका है इससे इसलिए छोड़ना नहीं चाहती.
इसलिए अब सोच लिया है, चाहे जितना भी मन ना हो कुछ चैप्टर्स तो पब्लिश करूंगी ही.
उम्मीद है कि इस बार थोड़ा अच्छा रिस्पॉन्स मिल जाए.
मीरा शर्मा...!
👇👇
ये मैं हूं....!😅😅