टिप्पणी सफलतापूर्वक रिपोर्ट की गई।
पोस्ट को आपकी टाइमलाइन में सफलतापूर्वक जोड़ दिया गया था!
आप अपने 1000000 मित्रों की सीमा तक पहुंच गए हैं!
फ़ाइल आकार त्रुटि: फ़ाइल अनुमत सीमा (92 MB) से अधिक है और इसे अपलोड नहीं किया जा सकता है।
आपका वीडियो संसाधित किया जा रहा है, जब यह देखने के लिए तैयार होगा तो हम आपको बताएंगे।
फ़ाइल अपलोड करने में असमर्थ: यह फ़ाइल प्रकार समर्थित नहीं है।
हमने आपके द्वारा अपलोड की गई छवि पर कुछ वयस्क सामग्री का पता लगाया है, इसलिए हमने आपकी अपलोड प्रक्रिया को अस्वीकार कर दिया है।
छवियों, वीडियो और ऑडियो फ़ाइलों को अपलोड करने के लिए, आपको प्रो सदस्य में अपग्रेड करना होगा। प्रो में अपग्रेड
Renu Sharma
टिप्पणी हटाएं
क्या आप वाकई इस टिप्पणी को हटाना चाहते हैं?
Alfie khan
टिप्पणी हटाएं
क्या आप वाकई इस टिप्पणी को हटाना चाहते हैं?
strenger pen
टिप्पणी हटाएं
क्या आप वाकई इस टिप्पणी को हटाना चाहते हैं?
rimjhim Sharma
जो कभी साँसों में रच-बस गए थे,
वो ही एक दिन बस यादों में रह जाते हैं।
लबों पर जिनका नाम कभी दुआ बन के आया,
वो अब अश्क बनकर पलकों से बह जाते हैं।
मुलाक़ातें तो मुक़द्दर का खेल होती हैं,
हर चाहत को मंज़िल कहां मिल पाती है।
कभी जो ज़िंदगी की वजह हुआ करते थे,
वही लोग कहानी में किरदार बन जाते हैं।
जिनके बिना धड़कन भी अधूरी लगती थी,
वो अब दिल के करीब होकर भी दूर नज़र आते हैं।
वक़्त की राह में सब कुछ बदल जाता है,
अपने भी अजनबी, और अजनबी अपने हो जाते हैं।
फिर किसी रोज़ तन्हाई में अलमारी की धूल भरी दराज़ से,
कुछ पुरानी तस्वीरें उभर आती हैं।
वो हसी, वो मासूम सी नज़रें, वो भूली-बिसरी बातें ........
सब कुछ जैसे फिर से जी उठता है,
बस चुपचाप.…..
तब एहसास होता है एक सच्चाई की लकीर का ...
इस भीड़ भरी दुनिया में,
जँहा रिश्ते भी मौसमों जैसे बदल जाते हैं,
आख़िर में...
बस तस्वीरें ही रह जाती हैं।
टिप्पणी हटाएं
क्या आप वाकई इस टिप्पणी को हटाना चाहते हैं?