संवेदनाओं से परे, निर्जीव हूं,
जीवन का साक्षी हूं, पर सत्य से परे अजीव हूं।
नहीं ह्रदय मेरा धड़कता ,
सृष्टि में मेरा अर्थ नहीं ,
क्योंकि मैं सजीव नहीं निर्जीव हूं
राही

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