रुद्रांश ने पीहू की बात सुनी और कहा–" अकेले जाने का बहुत शोक है न, तुम नहीं जाओगी अकेली, मैं भी तुम्हारे चलूंगा चाहे कही भी जाओ रूम में या भगवान के पास दोनो साथ जायेंगे, तुम अकेले सब कुछ सह रही थी हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी, इतना बोल रुद्रांश ने पीहू के ऊपर हाथ उठाया लेकिन उसका हाथ हवा में ही रह गया उसने उसके चेहरे को प्यार से छूते हुए कहा–" तुम्हारी अकेले की लाइफ नहीं है मेरी भी है,  क्या लग रहा था छुपा लोगी और हमे पता नहीं लगेगा, तुम अकेले नहीं ले सकती ये फैसला हम दोनों लेंगे,तुम मेरी हो और मैं तुम्हारा, और कल से तुम किमो लोगी!"

पीहू हैरानी से रुद्रांश को देख रही थी उसने कस के रुद्रांश को गले लगाया और कहा –" मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था, मैं तुम्हे छोड़कर कही नहीं जा रही, सॉरी इतना बोल उसने रुद्रांश को कस के पकड़ लिया था!"





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