बेफिक्री से तुम कैसे जी लेते हो
जब तुम्हारी हर सांस पर बोझ हो
कैसे तुम यूं मुस्करा लेते हो
जब मन में तुम्हारे उदासियों का मेल हो
दिखावा करना छोड़ दो न तुम
जब हसरतों का तुम्हारी कोई सपनों सा झोल हो
हो न तुम गालिब की माशूका की तरह
जिसकी अदाओं का बेबाकपन अनमोल हो

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