जब से तुम्हारी उल्फत का असर हुआ,
दिल को समझाना मुश्किल सा हुआ।
नज़रें तलाशती हैं बस तुम्हारा चेहरा,
हर ख़्वाब में बस वही मंज़र हुआ।

शब्द चुप हैं, और दिल बेहाल,
तुमसे मिलकर ही लगता है मालूम, हाल।
जैसे हर सांस में बसते हो तुम,
जैसे हर धड़कन में धड़कते हो तुम।
अदिति राही

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