शिव हर बम बम

शिव हर बम बम, गूंजे धाम,
कैलाशपति का ऊँचा नाम।
भूत-प्रेत संग नाचे भोला,
डमरू बजाए, करे विश्राम।

गंगा जटा में लहर-लहराए,
चंद्र किरण सिर पर मुस्काए।
नीलकंठ विष पीकर हँसे,
हर संकट को दूर भगाए।

त्रिशूल उठाए, करे संहार,
करुणा भी उनकी अपरंपार।
भक्तों के दुख हरने वाले,
शंभु कृपा से हो उद्धार।

शिवरात्रि में गूंजे जयकार,
हर-हर महादेव, अपार।
भक्त लगाएं गंगा जल,
महाकाल की हो जय-जयकार!

अदिति राही

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