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हिन्दू नववर्ष तो मनाएंगे लेकिन जिस राजपूत सम्राट विक्रमादित्य परमार की वजह से मना पाते हैं उनका नाम भी लेना पसंद नही करते

लेकिन हिंदुनववर्ष हिंदुनववर्ष चिल्लाते है

लेकिन वो हिन्दू नववर्ष नहीं , भारतीय नववर्ष है
विक्रमसंवत बोलते हैं उसे लेकिन विक्रमादित्य का नाम हटाकर हिन्दू नववर्ष कर दिया ।।

विक्रमादित्य ने शकों को मारकर अपने नाम पर विक्रम संवत चलाया इसलिये विक्रमसंवत्सर कहते हैं लेकिन इन पाखंडियों ने उनका नाम हटकर इसे हिन्दू नववर्ष कर दिया खुद का तो कुछ है नही...

#महाराजा__विक्रमादित्य__परमार
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किचक्रवर्ती सम्राट महाराज विक्रमादित्य परमार के बारे में देश को लगभग शून्य बराबर ज्ञान है,

जिन्होंने भारत को सोने की चिड़िया बनाया था, और स्वर्णिम काल लाया था । इन्ही के नाम से विक्रमी संवत चलता है।
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उज्जैन के राजा थे गन्धर्वसैन परमार, जिनके तीन संताने थी , सबसे बड़ी लड़की थी मैनावती , उससे छोटा लड़का भृतहरि और सबसे छोटा वीर विक्रमादित्य...बहन मैनावती की शादी धारानगरी के राजा पदमसैन के साथ कर दी , जिनके एक लड़का हुआ गोपीचन्द , आगे चलकर गोपीचन्द ने श्री ज्वालेन्दर नाथ जी से योग दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए , फिर मैनावती ने भी श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग दीक्षा ले ली ,
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आज ये देश और यहाँ की संस्कृति केवल विक्रमदित्य के कारण अस्तित्व में है
अशोक मौर्य ने बोद्ध धर्म अपना लिया था और बोद्ध बनकर 25 साल राज किया था
भारत में तब सनातन धर्म लगभग समाप्ति पर आ गया था, देश में बौद्ध और जैन हो गए थे
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रामायण, और महाभारत जैसे ग्रन्थ खो गए थे, महाराज विक्रम ने ही पुनः उनकी खोज करवा कर स्थापित किया
विष्णु और शिव जी के मंदिर बनवाये और सनातन धर्म को बचाया
विक्रमदित्य के 9 रत्नों में से एक कालिदास ने अभिज्ञान शाकुन्तलम् लिखा, जिसमे भारत का इतिहास है
अन्यथा भारत का इतिहास क्या मित्रो हम भगवान् कृष्ण और राम को ही खो चुके थे
हमारे ग्रन्थ ही भारत में खोने के कगार पर आ गए थे,
उस समय उज्जैन के राजा भृतहरि ने राज छोड़कर श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग की दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए , राज अपने छोटे भाई विक्रमदित्य को दे दिया , वीर विक्रमादित्य भी श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से गुरू दीक्षा लेकर राजपाट सम्भालने लगे और आज उन्ही के कारण सनातन धर्म बचा हुआ है, हमारी संस्कृति बची हुई है
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महाराज विक्रमदित्य ने केवल धर्म ही नही बचाया
उन्होंने देश को आर्थिक तौर पर सोने की चिड़िया बनाई, उनके राज को ही भारत का स्वर्णिम राज कहा जाता है
विक्रमदित्य के काल में भारत का कपडा, विदेशी व्यपारी सोने के वजन से खरीदते थे
भारत में इतना सोना आ गया था की, विक्रमदित्य काल में सोने की सिक्के चलते थे , आप गूगल इमेज कर विक्रमदित्य के सोने के सिक्के देख सकते हैं।
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विक्रम संवत् (आज का हिन्दू कैलंडर भी) विक्रमादित्य का स्थापित किया हुआ है।

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🙏🌹 *🐍ॐजय श्री महाकाल🐍* 🌹🙏
*꧁_ ॐ नमः पार्वती पतये*
*हर हर महादेव।_꧂*

🔱🕉🔱
🙏🏻🚩 🚩🙏🏻
*स्वयंभू दक्षिणमुखी राजाधिराज मृत्युलोकाधिपति भूतभावन अवंतिकानाथ बाबा श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग जी का भस्म श्रृंगार आरती दर्शन*
🌹🌹🚩🚩
*‼️०३-०१-२४-‼️बुधवार !*

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उन्हें नेत्रहीन क्यों कहा जाता है?* . आज 75 वर्ष के हो चुके महान गुरुदेव जन्म से अंधे हैं। स्कूल में हर कक्षा में उन्हें 99% से कम अंक नहीं मिले। उन्होंने 230 किताबें लिखी हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि श्री राम जन्मभूमि मामले में उन्होंने हाई कोर्ट में 441 साक्ष्य देकर यह साबित किया कि भगवान श्री राम का जन्म यहीं हुआ था। उनके द्वारा दिये गये 441 साक्ष्यों में से 437 को न्यायालय ने स्वीकार कर लिया। उस दिव्य पुरुष का नाम है जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य। 300 वकीलों से भरी अदालत में विरोधी वकील ने गुरुदेव को चुप कराने और बेचैन करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनसे पूछा गया था कि क्या रामचरित मानस में रामजन्मभूमि का कोई जिक्र है? तब गुरुदेव श्री रामभद्राचार्यजी ने संत तुलसीदास की चौपाई सुनाई जिसमें श्री रामजन्मभूमि का उल्लेख है। इसके बाद वकील ने पूछा कि वेदों में क्या प्रमाण है कि श्रीराम का जन्म यहीं हुआ था? जवाब में श्री रामभद्राचार्यजी ने कहा कि इसका प्रमाण अथर्ववेद के दूसरे मंत्र दशम कांड के 31वें अनुवाद में मिलता है। यह सुनकर न्यायाधीश की पीठ ने, जो एक मुस्लिम न्यायाधीश था, कहा, “सर, आप एक दिव्य आत्मा हैं।” जब सोनिया गांधी ने अदालत में हलफनामा दायर किया कि राम का जन्म नहीं हुआ था, तो श्री रामभद्राचार्यजी ने तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर कहा, "आपके गुरु ग्रंथ साहिब में राम का नाम 5600 बार उल्लेखित है।" ये सारी बातें श्री रामभद्राचार्यजी ने मशहूर टीवी चैनल के पत्रकार सुधीर चौधरी को दिए एक इंटरव्यू में बताई हैं. इस नेत्रविहीन संत महात्मा को इतनी सारी जानकारी कैसे हो गई, यह एक आम आदमी की समझ से परे है। वास्तव में वे कोई दैवीय शक्ति धारण करने वाले अवतार हैं। उन्हें नेत्रहीन कहना भी उचित नहीं है। क्योंकि एक बार प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने उनसे कहा कि "मैं आपके दर्शन की व्यवस्था कर सकती हूं।" तब इस संत महात्मा ने उत्तर दिया, "मैं दुनिया नहीं देखना चाहता।" वह इंटरव्यू में आगे कहते हैं कि मैं अंधा नहीं हूं. मैंने अंधे होने की रियायत कभी नहीं ली। मैं भगवान श्री राम को बहुत करीब से देखता हूं।' *ऐसी पवित्र, अद्भुत प्रतिक्रिया को नमन है, रामभक्त* *जय श्री राम
ऐसै संतो की वजह से ही सनातन हमारी संस्कृति और अस्तित्व टीका हुआ है ऐसै कई संत है उनका हंमेशा मान रखे 🚩🙏

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🌹 आज का भगवद चिंतन- 8️⃣9️⃣3️⃣ 🌹

*उलटे भजन का सीधा भाव*

एक बार एक व्यक्ति श्री धाम वृंदावन में दर्शन करने गया। दर्शन करके लौट रहा था। तभी एक संत अपनी कुटिया के बाहर बैठे बड़ा अच्छापद गा रहे थे कि "हो नयन हमारे अटके श्री बिहारी जी के चरण कमल में।"

बार-बार यही गाये जा रहे थे तभी उस व्यक्ति ने जब इतना मीठा पद सुना तो वह आगे न बढ़ सका, और संत के पास बैठकर ही पद सुनने लगा और संत के साथ-साथ गाने लगा।

कुछ देर बाद वह इस पद को गाता-गाता अपने घर गया, और सोचता जा रहा था कि वाह ! संत ने बड़ा प्यारा पद गाया। जब घर पहुँचा तो पद भूल गया अब याद करने लगा कि संत क्या गा रहे थे, बहुत देर याद करने पर भी उसे याद नहीं आ रहा था।

फिर कुछ देर बाद उसने गाया "हो नयन बिहारी जी के अटके, हमारे चरण कमल में" उलटा गाने लगा। उसे गाना था नयन हमारे अटके बिहारी जी के चरण कमल में अर्थात बिहारी जी के चरण कमल इतने प्यारे हैं कि नजर उनके चरणों से हटती ही नहीं हैं। नयन मानो वही अटक के रह गए हैं।

पर वो गा रहा था कि बिहारी जी के नयन हमारे चरणों में अटक गए, अब ये पंक्ति उसे इतनी अच्छी लगीं कि वह बार-बार बस यही गाये जाता, आँखे बंद हैं बिहारी के चरण हृदय में हैं और बड़े भाव से गाये जा रहा हैं।

जब बहुत समय तक गाता रहा, तो अचानक क्या देखता हैं सामने साक्षात् बिहारी जी खड़े हैं। झट चरणों में गिर पड़ा। बिहारी जी बोले,"भईया! एक से बढ़कर एक भक्त हुए। पर तुम जैसा भक्त मिलना बड़ा मुश्किल हैं लोगो के नयन तो हमारे चरणों के अटक जाते हैं पर तुमने तो हमारे ही नयन अपने चरणों में अटका दिए और जब नयन अटक गए तो फिर दर्शन देने कैसे नहीं आता।"

भगवान बड़े प्रसन्न हो गए। वास्तव में बिहारी जी ने उसके शब्दों की भाषा सुनी ही नहीं क्योकि बिहारी जी शब्दों की भाषा जानते ही नहीं है वे तो एक ही भाषा जानते हैं वह हैं भाव की भाषा।

भले ही उस भक्त ने उलटा गाया पर बिहारी जी ने उसके भाव देखे कि वास्तव में ये गाना तो सही चाहता हैं, शब्द उलटे हो गए तो क्या भाव तो कितना उच्च हैं। सही अर्थो में भगवान तो भक्त के हृदय का भाव ही देखते हैं।

*🙏🏻 श्री हरि शरणम् नमः 🙏🏻*

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प्रभु श्री राम का निमंत्रण पत्र स्वीकार करें आ गए प्रभु के दास,
सुन लो इनकी अरदास,

लाए हैं आपके लिए निमंत्रण पत्र कर लो इनका स्वीकार,

बरसो से था इंतजार, कह गए रविदास,प्रभु की लगाना अरदास,

अब ना सुनना किसी की बात, अब आ गई समय की बात,

सीधे जाना अयोध्या दास है
पति के साथ लगाना अरदास,

अरदास हमारी स्वीकार करें प्रभु से कहना अपनी बात,

फिर से आएंगे आपके पास लेकर आएंगे राम के दास,

दास भेज देगा यह संदेश प्रभु
आ गए मेरे देश,

जय श्री राम जय श्री राम
कलम से
*ज्ञान सिंह शाक्य जिला अध्यक्ष एटा योगी अखाड़ा*

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ने लिखा है भाजपा मोदी से पहले और मोदी के बाद,
जब तक "भाजपा" "वाजपेयी" जी के "विचारधारा"
पर चलती )


फिर होता है
" नरेन्द्र मोदी" का "पदार्पण! ........ मर्यादा पुरुषोत्तम "राम के चरण" चिन्हों पर "चलने वाली"
"भाजपा" को
"मोदी जी", कर्मयोगी "श्री कृष्ण" की राह पर ले आते हैं !

श्री कृष्ण "अधर्मी" को "मारने में"
किसी भी प्रकार की "गलती नहीं" करते हैं। ...........
"छल हो" तो "छल से"
"कपट हो" तो "कपट से"
"अनीति हो" तो "अनीति से" , "अधर्मी" को "नष्ट करना"
ही उनका "ध्येय" होता है!

"इसीलिए" वो
अर्जुन को "केवल कर्म"
करने की शिक्षा देते हैं !

"बिना सत्ता" के
आप "कुछ भी नहीं" कर सकते हैं ! इसलिए "कार्यकर्ताओं" को चाहिए कि "कर्ण" का "अंत करते" समय कर्ण के "विलापों पर"
ध्यान ना दें! .........
केवल "ये देखें
"कि"अभिमन्यु" की
"हत्या के समय" उनकी "नैतिकता" "कहाँ" चली गई "थी" ?

कर्ण के "रथ" का "पहिया" जब
"कीचड़" में धंस गया, तब
भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा: पार्थ, देख क्या रहे हो ? ......
इसे समाप्त कर दो!

"संकट" में घिरे
"कर्ण ने" कहा:
यह तो "अधर्म "है !

भगवान
"श्री कृष्ण" ने कहा: "अभिमन्यु" को घेर कर "मारने वाले", और "द्रौपदी" को भरे दरबार में
"वेश्या" कहने वाले के "मुख से" आज "धर्म की" बातें करना "शोभा"
नहीं देता है !!

आज
"राजनीतिक" गलियारा जिस तरह से "संविधान"
की "बात" कर रहा है, तो "लग रहा" है जैसे हम "पुनः" "महाभारत युग"
में आ गए हैं !

"विश्वास रखो", महाभारत का "अर्जुन नहीं चूका" था !
"आज का अर्जुन" भी नहीं चूकेगा !

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत!
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् !

"चुनावी जंग" में "अमित शाह" जो कुछ भी
"जीत" के लिए "पार्टी"
के लिए कर रहे हैं, वह "सब उचित" है!

साम, दाम, दण्ड , भेद ,राजा या क्षत्रिय द्वारा अपनाई जाने वाली नीतियाँ हैं, जिन्हें उपाय-चतुष्टय (चार उपाय) कहते हैं !

राजा को राज्य की व्यवस्था सुचारु रूप से चलाने के लिये सात नीतियाँ वर्णित हैं !

राजनीतिक गलियारे में ऐसा "विपक्ष नहीं" है, जिसके साथ "नैतिक-नैतिक"
खेल "खेला जाए"! सीधा
"धोबी पछाड़" ही"आवश्यक" है !

एक बात और!
"अनजाना इतिहास"

बात "1955"
की है! "
"सउदी" अरब के बादशाह "शाह-सऊदी" प्रधान मंत्री "जवाहरलाल नेहरू" के "निमंत्रण पर" "भारत आए" थे, वे 4 दिसम्बर 1955 को दिल्ली पहुँचे, "शाह-सऊदी" दिल्ली के बाद, "वाराणसी" भी गए!

"सरकार ने"
दिल्ली से "वाराणसी"
जाने के लिए, "शाह-सऊदी" के लिए एक "विशेष ट्रेन" में, "विशेष कोच" की व्यवस्था की! शाह सऊदी
"जितने दिन" वाराणसी में रहे "उतने दिनों" तक "बनारस" की सभी "सरकारी इमारतों" पर
"कलमा तैय्यबा" लिखे हुए "झंडे लगाए" गए थे!
"वाराणसी में" जिन-जिन रास्तों-सडकों से "शाह-सऊदी " को "गुजरना" था,
उन सभी "रास्तों-सड़कों" में पड़ने वाले मंदिरों और मूर्तियों को पर्दों से ढक दिया गया था!

इस्लाम की तारीफ़ में, और हिन्दुओं का मजाक उड़ाते हुए शायर "नज़ीर बनारसी" ने एक शेर कहा था: -
अदना सा ग़ुलाम उनका,
गुज़रा था बनारस से,
मुँह अपना छुपाते थे,
ये काशी के सनम-खाने!

अब खुद ही सोचिये कि क्या आज मोदी और योगी के राज में, किसी भी बड़े से बड़े तुर्रम खान के लिए, ऐसा किया जा सकता है ? आज ऐसा करना तो दूर, करने के लिए सोच भी नहीं सकता!

हिन्दुओ , उत्तर दो, तुम्हें और कैसे अच्छे दिन चाहिए ?

आज भी बड़े बड़े ताकतवर देशों के प्रमुख भारत आते हैं, और उनको वाराणसी भी लाया जाता है! लेकिन अब मंदिरों या मूर्तियों को छुपाया नहीं जाता है, बल्कि उन विदेशियों को गंगा जी की आरती दिखाई जाती है, और उनसे पूजा कराई जाती है!

*जब था कांग्रेसियों का हिंदुत्व दमन!* *अब है भा ज पा का *"लक्ष्य हिंदुत्व के द्वारा हिंदू राष्ट्र"*

*कम से कम पांच ग्रुपों में फॉरवर्ड करें!
कुछ को मैं जगाता हूँ!
कुछ को आप जगाऐं!

राष्ट्रधर्म :सर्वोपरि
जय भारत
जय श्री राम

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