*🚩जय श्री सीताराम जी की*🚩
*आप सभी श्रीसीतारामजीके भक्तों को प्रणाम*
🌹🙏🙏🙏🙏🙏🌹
*श्री रामचरित मानस किष्किन्धा काण्ड*

दोहा :
*सखा बचन सुनि हरषे*
*कृपासिंधु बलसींव।*
*कारन कवन बसहु बन*
*मोहि कहहु सुग्रीव॥५॥*

भावार्थ :
कृपा के समुद्र और बल की सीमा श्री रामजी सखा सुग्रीव के वचन सुनकर हर्षित हुए।
(और बोले-) हे सुग्रीव! मुझे बताओ, तुम वन में किस कारण रहते हो?॥५॥

चौपाईछ
*नाथ बालि अरु मैं द्वौ भाइ।*
*प्रीति रही कछु बरनि न जाई॥*
*मयसुत मायावी तेहि नाऊँ।*
*आवा सो प्रभु हमरें गाऊँ॥१॥*

भावार्थ :
(सुग्रीव ने कहा-) हे नाथ! बालि और मैं दो भाई हैं, हम दोनों में ऐसी प्रीति थी कि वर्णन नहीं की जा सकती।
हे प्रभो! मय दानव का एक पुत्र था, उसका नाम मायावी था।
एक बार वह हमारे गाँव में आया॥१॥

*प्रभु पहिचानि परेउ गहि चरना।*
*सो सुख उमा जाइ नहिं बरना॥*
*पुलकित तन मुख आव न बचना।*
*देखत रुचिर बेष कै रचना॥३॥*

भावार्थ :
प्रभु को पहचानकर हनुमान्‌जी उनके चरण पकड़कर पृथ्वी पर गिर पड़े (उन्होंने साष्टांग दंडवत्‌ प्रणाम किया)।
(शिवजी कहते हैं-) हे पार्वती! वह सुख वर्णन नहीं किया जा सकता।

پسند