अन्वी की नजर रिधान की नजर से जा मिली थी और दोनों ही एक दूसरे की आंखों में खोए हुए ही एक दूसरे को देख रहे थे अन्वी तो रिधान की आँखों में देखती हुई ही अपने मन में बोली,

"कैसे रोको इस एहसास को जो दिन-ब-दिन बढ़े जा रहा है,

तू सामने है फिर भी ये दिल धड़के जा रहा है,

सोचा था समझ लुंगी इस दिल को भी कि भूल जाए तुझे पर,

ये दिल है कि मुझसे बगावत किए जा रहा है।"

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