तुम मेरे ख्यालों में बार बार आती हो
सुगंध के एक झोंके की तरह
कल्पना की एक छाया की तरह
संसार में व्याप्त माया की तरह
और फिर अदृश्य हो जाती हो
मैं दौड़ता हूं की तुम्हें करपाश में बांध लूं
पर हाथ खुल्ले रह जाते हैं मेरे
और तुम गायब हो जाती हो
कुछ इस प्रकार तुम मुझे रोज़ सताती हो
कुछ समय के लिए आती हो
फिर पीड़ा दे कर चली जाती हो
सुनो,तुम मेरे ख्यालों में बार बार आती हो



Majid khan🥀🌺✨📝

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