समझना चाहते हो अगर,
समझना बातों की गहराई को।

समझना चाहते हो अगर,
समझना हँसी के पीछे के दर्द को।

समझना चाहते हो अगर,
समझना कामयाबी के पीछे के संघर्ष को।

समझना चाहते हो अगर,
समझना भीड़ में मेरे अकेलेपन को।

समझना चाहते हो अगर,
समझना मेरी खामोशी में छिपी बातों को।

समझना चाहते हो अगर,
समझना मेरे अंदर के बचपने को।

समझना चाहते हो अगर
समझना मेरी सुलझनों की उलझनों को

समझना चाहते हो अगर
समझना मुझे, अगर समझ सको तो..!!

©® Aanchal Rathour

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