कबीर को उसके डैड के साथ बिताए पल याद आ रहे थे और अचानक ही उसकी आंखो के सामने सांझ के साथ बिताए पल याद आने लगे उसकी आंखो से आंसू निकल आए थे उसने खुद से मन में कहा –" कुछ समझ नहीं आ रहा, दिमाग और दिल की जंग में किसकी सुनु, दिल कहता है तुमने कुछ नहीं किया और दिमाग इन सब पर यकीन कर रहा है जो मेने देखा है, तुम ऐसा नहीं कर सकती, पर मेने भी तो अपने पापा को खोया है, कुछ समझ नहीं आ रहा!"



" साजन बेइंतहा इश्क "
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