"हमसे जलने वालों की कम तादाद नहीं,
क्योंकि रुतबा हमारा हर किसी के बस की बात नहीं।
जिसे खुदा ने औकात से ज़्यादा नवाज़ा है,
उसे झुका दे कोई इतनी किसी की औकात नहीं !" दास्तान शाह ( इश्क़ ऐ बाजार)

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