रिश्तों की इस बस्ती में,
साजिशों ने घर बनाया था।
जिस दिल ने सच्चा चाहा,
उसी को सबसे ज़्यादा रुलाया था।

एक मासूम दिल था रिध्यान का,
जिसे बस अंशिका चाहिए थी।
पर अंशिका तो बस नाम की थी,
उसकी रूह तो कहीं और ही थी।

वो दिल जिसने धोखे की नींव पर
प्यार का महल खड़ा किया,
वक़्त ने जब राज़ खोले,
तो सबकुछ बिखर के रह गया।

वर्षों पुराना तूफ़ान उठा,
सच्चाई ने परतें खोलीं।
कहीं बेमोल मोहब्बत थी,
कहीं छुपी हुई कोई बोली।

अब देखना है,
क्या रिश्ता बचेगा इस आग में,
या दोनों दिल जल जाएंगे
अपने ही जज़्बातों के दाग में।


My Heartless Wife

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