तेरी बाहों में आके सुकून सा मिलता है,
जैसे बरसों से भटका कोई रस्ता मिल जाता है।
तेरी सांसों की खुशबू में घुल गई हूँ मैं,
जैसे बारिश में मिट्टी का हिस्सा बन जाता है।

अग्नि प्रतिज्ञा

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