होने से बोझ बढ़े अगर,
तो न होना हल्का है।
झूठी हँसी की भीड़ लगे,
तो तन्हाई अच्छा है।

रिश्ते हों पर अर्थहीन,
तो अकेलापन बेहतर है।
शब्द हों पर भाव नहीं,
तो मौन ही सुंदर है।

नाम बड़ा हो, मन छोटा,
तो गुमनामी प्यारी है।
स्वार्थ भरी हो रोशनी,
तो अंधियारी न्यारी है।

भीड़ में खो जाने से,
एक कोना चुप रहना अच्छा है।
क्या होने से क्या न होना,
कभी-कभी सच में सच्चा है।

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