"सुनो! ख्वाहिश रखती हूं तुमसे बस एक ही खिताब की, कि ज़िंदगी में तुम्हारी, कोई सफ़हा नहीं, बल्कि हैसियत चाहिए मुझे मुकम्मल किताब की" ....!!!




(सफ़हा–पन्ना)




#दिल_के_जज़्बात?#फरी_की_कलम_से.....✍️

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