ہمارے Discover صفحہ پر دلکش مواد اور متنوع نقطہ نظر کو دریافت کریں۔ تازہ خیالات کو اجاگر کریں اور بامعنی گفتگو میں مشغول ہوں۔
*अयोध्या में प्रभू श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा*
*गृह संपर्क अभियान*
⁃ *०१ जनवरी से १५ जनवरी तक*
• पूजित अक्षत, पत्रक व श्री राम मंदिर का चित्र यह तीन वस्तु को लेकर प्रत्येक हिन्दू घर में संपर्क करना हैं।
*• २२ जनवरी को*
🕉️⁃ पूर्वान्ह ११.०० से अपरान्ह १.०० तक अपने ग्राम, नगर, मोहल्ला, कॉलोनी में स्थित किसी मंदिर में सभी रामभक्त एकत्र होकर भजन कीर्तन करेन।
🕉️⁃ बड़े पर्दे पर अयोध्या का प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव साथ में देखें।
🕉️⁃ शंखध्वनि, घंटानाद, प्रसाद वितरण करें।
🕉️⁃ सभी मंदिरों में स्थित देवी देवता का भजन- कीर्तन- आरती-पूजा करे ।
🕉️⁃ “श्री राम" "जय राम जय जय राम” विजय महामंत्र का १०८ बार सामूहिक जाप करे।
🕉️⁃ हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, रामरक्षा स्तोत्र आदिका सामूहिक पाठ करे।
🕉️⁃ मंदिरों को अच्छे से सजाये।
🕉️⁃ अपने अपने घर को अच्छे से सजाये, जैसे तोरण, रंगोली, झालर इत्यादि सजावट करे ।
🕉️⁃ अपने क्षेत्र के सभी हिन्दू घरों में भगवा पताका लगाये।
🕉️⁃ संभव हो तो उस दिन प्राण प्रतिष्ठा तक उपवास रखें।
🕉️⁃ यदि संभव हो तो भंडारे का आयोजन भी करे।
🕉️⁃ सूर्यास्त के बाद अपने घर के सामने देवताओं की प्रसन्नता के लिये दीपक जलायें, दीपमालिका सजायें, दीपोत्सव मनायें।
*• पूर्व तैयारी•*
⁃ अपने अपने क्षेत्र में प्रतिदिन प्रभात फेरी करके समाज में वातावरण बना सकते हैं।
🕉️⁃ प्रत्येक मंदिर समिति, साथ बैठकर २२ की तैयारी में अधिक से अधिक समाज जन की सहभागिता सुनिश्चित करे।
⁃ कार्यक्रम में सभी जाति, मत, पंथ से लोग जुड़े। यह कार्यक्रम संपूर्ण हिन्दू समाज का है यह संदेश भी जाना चाहिये।
🕉️⁃ कार्यक्रम में माता- बहिन, बालक-युवा, किसान-कर्मचारी, व्यापारीगण, अबाल-वृद्ध सभी को जोड़ना हैं।
🕉️⁃ यह कार्यक्रम के माध्यम से सामाजिक समरसता स्थापित हो यह अपेक्षित हैं।
⁃ यह कार्यक्रम “हिन्दू समाज में कार्यक्रम “नहीं अपितु “संपूर्ण हिन्दू समाज का कार्यक्रम” बनें।
*इस संदेश को अपने सभी ग्रुप में प्रेषित करें- अपने सभी मित्रों को इस अभियान से जोड़ें... जय मां भारती*
*🚩 जय जय श्री राम🚩*
174000 लाशे गिरी थीं ,,700 मुगलों को अपने हाथों से काटने वाले योद्धा ,,
यह थे श्रीराम मंदिर रक्षक पण्डित देवीदीन पाण्डे।
पंडित देवीदीन जो सनेथू गांव अयोध्या के रहने वाले थे, जिनका जन्म सर्यूपारीण ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वो एक कर्मकांडी पुरोहित थे लेकिन जब मुग़ल सेना राममंदिर को ध्वस्त करने के उद्देश्य से अयोध्या की ओर बढ़ी तब पण्डित देवीदीन पाण्डे ने पुरोहित का कार्य त्यागकर आसपास के ब्राह्मणों व क्षत्रियों को लेकर बाबर सेना के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए हथियार उठा लिया और मीर बाकी के नेतृत्व वाली मुगल सेना से युद्ध किया।
ये युद्ध इतना विकराल था की युद्ध करते समय पण्डित जी ने 700 मुगलों को अपने हाथों से काट डाला। एक मुगल सैनिक ने पण्डित जी के पीछे आकर तलवार से ऐसा वार किया कि वह तलवार पण्डित जी का ऊपरी सर काटते हुए आर-पार हो गई और उनका सिर दो भागों में फट कर खुल गया। लेकिन उन्होंने अपने गमछे से सर को बांधकर लड़ाई लड़नी शुरू कर दी और अंत में मुगल सैनिकों द्वारा एक के बाद एक किये गए वार से वे काफी घायल हुए और वहीं पर वीरगति को प्राप्त हुए ! ऐसे धर्म रक्षक को हमारा बारंबार नमन 🚩🙏🙏
👏Jai Jagannath 👏
*’इंसान ने वक़्त से पूछा…*
*”मै हार क्यूं जाता हूँ ?”*
*वक़्त ने कहा..*
*धूप हो या छाँव हो,*
*काली रात हो या बरसात हो,*
*चाहे कितने भी बुरे हालात हो,*
*मैं हर वक़्त चलता रहता हूँ,*
*इसीलिये मैं जीत जाता हूँ,*
*तू भी मेरे साथ चल,*
*कभी नहीं हारेगा………..*
🙏🙏
🌻आज का दिन शुभ व मंगलमय हो 🌻