"ऐसे कैसे छोड़ दूँ तुझे। बहुत बढ़ गयी है तेरी हिम्मत मुझे धोखा देने चली है। अब तो तुझे दिखाना ही पड़ेगी की विहान बजाज को धोखा देने की क्या सज़ा मिलती है। मैं तो तुझे इज़्ज़त से अपनी बीवी बनाकर तुझे अपने पास रखना चाहता था पर अब ऐसा नही करूँगा। बहुत शौक है न तुझे अय्याशी करने का। नए नए लड़कों को अपनी खूबसूरती और मासूमियत के जाल मे फंसाने का तो आज मैं तेरी खूबसूरती पर ऐसा दाग लगाऊंगा की दोबारा कोई लड़का तेरी तरफ देखेगा भी नही।
तेरा वो यार भी मेरी जूंठन को अपनाने से इंकार कर देगा। तब समझ आएगा तुझे की मुझसे टकराकर तूने कितनी बड़ी गलती की है। शादी तो अब मैं तुझसे करूँगा नही पर तुझ जैसी खूबसूरती कली को खिला हुआ फूल तो मैं ही बनाऊंगा। तेरी जवानी का रस चूसने की मेरी इच्छा आज पूरी होकर ही रहेगी और उसके बाद छोड़ जाऊंगा मैं तुझे इस दुनिया के ताने सुनने के लिए। उस शाम जो हुआ वो नशे मे हुआ था अब तेरे पूरे होशो हवास मे तुझे अपना बनाऊंगा।"
वो हैवानीयत भरी निगाहों से आरवी को देखते हुए उसके करीब आने लगा आरवी पीछे कहा जाती वो खुदमे सिकुडी हुई उसको विश्वास दिलाने की कोशिश करती रही कि उसने कुछ नही किया। बाहर से रश्मि रजनी जी दरवाजा पीटते हुए उसे खोलने को कहते रहे अनुपमा जी की हालत खराब हो गयी थी उनकी आँखों के सामने उनकी दुनिया उजड़ने वाली थी।
उन्हें चक्कर आने लगे तो रश्मि ने उन्हें संभाला। सब दरवाजा खोलने को कह रहे थे पर विहान को ना बाहर से किसी की आवाज़ सुनाई दे रही थी और न ही आरवी की मिन्नतों का उसपर कोई असर हो रहा था। वो आरवी के ऊपर झुकते हुए उसके चेहरे उसके गालों को अपनी उंगलियों से सहलाने लगा
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