🌸 श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर कविता 🌸
माखन चोर, नटखट कान्हा,
रास रचैया वृंदावन का राजा।
मुरली की मधुर तान सुनाकर,
सबके दिल में बसे आजा।
यशोदा के लालन, नंद के दुलारे,
गोपियों के मन के तुम प्यारे।
कभी ग्वाल-बाल संग खेलो,
कभी राधा संग रास रचाओ।
कान्हा तेरी बंसी की धुन,
मिटा दे मन का हर ग़म।
तेरे नाम का जो लेता है जाप,
उसके जीवन में भरता है प्रेम।
आज की रात है शुभ अवसर,
जन्म हुआ था नंदलाल का।
आओ मिलकर दीप जलाएँ,
गाएँ भजन घनश्याम का।

roopam singh
تبصرہ حذف کریں۔
کیا آپ واقعی اس تبصرہ کو حذف کرنا چاہتے ہیں؟
Simmi Singh
تبصرہ حذف کریں۔
کیا آپ واقعی اس تبصرہ کو حذف کرنا چاہتے ہیں؟
mamta sharma
تبصرہ حذف کریں۔
کیا آپ واقعی اس تبصرہ کو حذف کرنا چاہتے ہیں؟
Manisha Srivastava
تبصرہ حذف کریں۔
کیا آپ واقعی اس تبصرہ کو حذف کرنا چاہتے ہیں؟
Priti Goyal
تبصرہ حذف کریں۔
کیا آپ واقعی اس تبصرہ کو حذف کرنا چاہتے ہیں؟