घूंघट में छिपी एक सुबह सी नज़र आई,
नज़ाकत में लिपटी, मगर तेज़ की परछाई।
ना गहनों का गुरूर, ना रंगों की बौछार,
उसके संस्कारों में ही थी सच्ची शृंगार।

नज़रों में नम्रता, बातों में मिठास,
हर अदा में बसती थी रूह की प्यास।
सादगी की वो मिसाल, जैसे चाँदनी रात,
जो छू ले दिल को, बिना कहे हर बात।❤️ धानी ( trapped marriage)

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